मंजिल पे वो ही पहुंचा, जो चलता ही रहा। मंजिल पे वो ही पहुंचा, जो चलता ही रहा।
उठो जवान देश के, तराने गाओ रे। जो पड़े प्रमाद में, उनको जगाओ रे। उठो जवान देश के, तराने गाओ रे। जो पड़े प्रमाद में, उनको जगाओ रे।
निकल पड़ ! भूल,कल की बातें, नवयुग को स्वीकार कर। निकल पड़ ! भूल,कल की बातें, नवयुग को स्वीकार कर।
देश मे फैले अंधकार पर चिंता व्यक्त करते हुए, कवि ने समभाव की अपील करते हुए राष्ट्र निर्माण की बात कह... देश मे फैले अंधकार पर चिंता व्यक्त करते हुए, कवि ने समभाव की अपील करते हुए राष्ट...
फिर कैसा? रोना-धोना? फिर कैसा? रोना-धोना?
तू ने ही उड़ाई थी, मुगलों की नींद, तू ने ही उड़ाई थी, मुगलों की नींद,